कहते हैं न, “माँ तो माँ होती है, बाकी सब तो बस दिखावा है!” यह कहावत माँ और संतान के बीच के अटूट प्रेम की गवाही है। लेकिन कई बार मातृत्व को पाना आसान नहीं होता। मेरे साथ भी कुछ ऐसा ही हुआ |
हमारे रिश्तेदार अक्सर पूछते, “अच्छी खबर कब दोगे?”
लेकिन उन्हें कौन समझाए कि हमारे दिल की पीड़ा तो सिर्फ हम ही जानते थे। ऐसे सवाल हमें अंदर से तोड़ते रहते थे।
कभी-कभी जब पड़ोस में किसी बच्चे का जन्मदिन होता, तो मुझे बहुत अकेलापन महसूस होता। लोग सिर्फ सलाह देते, लेकिन उस समय मैंने हिम्मत नहीं हारी। मैंने खुद को संभालना शुरू किया और भगवान पर विश्वास रखा। क्योंकि दवा और दुआ दोनों जरूरी होती हैं।
कुछ समय बाद हम दोनों थियेटर में फिल्म देखने गए। अचानक मेरे पति का दोस्त और उसकी पत्नी भी वहाँ आए। मूवी के बाद हम सब साथ में कोल्ड ड्रिंक पीने गए। बातचीत के दौरान हमने उन्हें अपनी समस्या बताई।
तब उन्होंने हमें CANDOR IVF जाने की सलाह दी। लेकिन उस समय मेरे मन में बहुत सारे सवाल थे, कैसा होगा? खर्च कितना आएगा? सफलता मिलेगी या नहीं?
आखिरकार हमने CANDOR IVF की विज़िट की।
वहाँ के डॉक्टर्स से मिले। हॉस्पिटल का माहौल इतना पॉज़िटिव था कि मेरे अंदर उम्मीद जगी। यहाँ के सभी ट्रीटमेंट के साधन आधुनिक थे। सबसे खास बात यह थी कि डॉक्टर्स ने हमें भावनात्मक सपोर्ट भी दिया।
उन्होंने हमें भरोसा दिलाया कि इस सफर में हम अकेले नहीं हैं।
इसके बाद हमने यहाँ IVF ट्रीटमेंट कराया और आज मैं प्रेग्नेंट हूँ। जब डॉक्टर ने मुझे यह खुशखबरी पहली बार सुनाई, तो मेरी आँखों में खुशी के आँसू थे।
अब मेरी गोद में एक नन्हा सा फूल खेल रहा है।
CANDOR IVF का ट्रीटमेंट मेरे लिए सिर्फ इलाज नहीं था, बल्कि मेरी जिंदगी का नया अध्याय था। अगर आपकी भी स्थिति ऐसी ही है, तो अब चिंता मत कीजिए, क्योंकि CANDOR IVF आपकी उम्मीदों को जीवंत रखता है।





